


भारत और ब्रिटेन के बीच सम्पन्न आर्थिक और व्यापार समझौता (Comprehensive Economic and Trade Agreement – CETA) भारतीय किसानों के लिए वैश्विक अवसरों के द्वार खोलने जा रहा है। इस समझौते का उद्देश्य टैरिफ (शुल्क) को समाप्त कर भारतीय कृषि उत्पादों को ब्रिटेन जैसे उच्च-मूल्य वाले बाजार तक पहुंच देना है। इससे भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा और भारत की वैश्विक कृषि व्यापार में स्थिति और मजबूत होगी।
इस समझौते के तहत भारतीय किसान “स्थानीय उपज, वैश्विक बिक्री” की दिशा में आगे बढ़ सकेंगे। CETA लागू होते ही ब्रिटेन भारतीय मांस, डेयरी उत्पाद, चाय, कॉफी, मसाले, फल, सब्जियां, फलों के रस और प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों पर टैरिफ समाप्त कर देगा। इससे ब्रिटेन के 63.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कृषि बाजार में भारतीय उत्पादों को वरीयता मिलने से किसानों को सीधे वैश्विक उपभोक्ताओं तक पहुंच मिलेगी और उन्हें अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
इसके साथ ही, CETA में भारत के संवेदनशील कृषि उत्पाद जैसे दूध, सब्ज़ियां, सेब, खाद्य तेल, जई आदि को ‘संवेदनशील सूची’ में रखा गया है, जिससे इन क्षेत्रों के किसानों के हितों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। इसके अलावा, भारतीय कृषि उत्पादों पर ब्रिटेन द्वारा कोई ‘सेफगार्ड ड्यूटी’ (रक्षा शुल्क) नहीं लगाई जाएगी, इससे निर्यात और अधिक सुगम होगा।
इस समझौते के तहत पारंपरिक ज्ञान को भी मान्यता देने की बात की गई है, विशेष रूप से आनुवंशिक संसाधनों के पेटेंट प्रक्रिया में। इससे पारंपरिक भारतीय कृषि पद्धतियों को वैश्विक पहचान मिलेगी। वहीं CETA नवाचार और तकनीकी विकास को भी बढ़ावा देगा, जिससे कृषि सहित कई क्षेत्रों में तकनीक आधारित विकास को गति मिलेगी। यह समझौता भारतीय किसानों को अधिक और स्थिर आय, बेहतर बाजार पहुंच, और दीर्घकालिक निर्यात अवसर प्रदान करेगा, जिससे ग्रामीण भारत में समृद्धि आएगी और भारत वैश्विक कृषि व्यापार का एक सशक्त भागीदार बनकर उभरेगा।